

या नेगेटिव!और यही आजकल देखने को मिल रहा है।राहत की बात ये है कि इस बार का जनाक्रोश नेगेटिव कम और पॉजिटिव अधिक दिख रहा है।लोग खुद ही गंदगी की सफाई करते गाँव की गलियों में देखे गये।ग्रामीणों ने ना सिर्फ सफाई की बल्कि सफाई के बाद ब्लीचिंग पाउडर का भी छिड़काव अपने दम पर किया। जिसमे कुछ लोगों ने आर्थिक सहयोग दिया तो कुछ ने श्रमदान कर गाँव को गंदगी मुक्त किया!मामला मोकामा प्रखण्ड के हाथीदह पंचायत का है परंतु ये सिर्फ उदाहरण मात्र है। सूबे के गाँव मुख्य सचिव के आदेश के बाद भी आज अनाथ सा महसूस कर रहे हैं, इससे बड़ी असंवेदनशीलता भला और क्या हो सकती है?
(रिपोर्ट- रवि शंकर शर्मा)
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