उर्दू को रोजगार से जोड़ने के लिए राजद की ओर से मुहिम चलेगा - एजाज अहमद।
उर्दू को रोजगार से जोड़ने के लिए राजद की ओर से मुहिम चलेगा - एजाज अहमद ।।
पटना
बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता एजाज अहमद ने आरोप लगाया कि बिहार में भाजपा और जदयू के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार अल्पसंख्यक समाज को राजनीतिक सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर हाशिए पर रखने के एजेंडे के तहत कार्य कर रही है जहां राजद शासन मे हर जिला में अल्पसंख्यक छात्रावास की स्थापना की गई, लेकिन नीतीश सरकार ने उन हॉस्टलो को पुलिस बैरक तथा असामाजिक तत्वों का अड्डा बनने के लिए छोड़ दिया। तालीम और रोजगार के क्षेत्र में अल्पसंख्यक समाज की भागीदारी पिछले 16 वर्षों में काफी कम हुई है, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में उर्दू तालीम को समाप्त करने के लिए साजिश की जा रही है वही उर्दू टीचर की बहाली में भी देरी की जाती है । बिहार में जहां अल्पसंख्यक समाज के इलाकों में तरक्की के लिए 15 सूत्री कार्यक्रम चलाया जा रहा था वही 2009 के बाद राज्य सरकार ने इसका गठन नहीं कियाहै ,जिसके कारण अल्पसंख्यक समाज के लोगों को केंद्रीय और राज्य योजना में जो 15 सूत्री कार्यक्रम में भागीदारी नहीं हो पा रही है। जबकि नीतीश कुमार की सरकार ने वादा किया था कि 15 सूत्री की जगह 10 सूत्री कार्यक्रम के के माध्यम से अल्पसंख्यक समाज को भागीदारी दी जाएगी लेकिन आंख बंद डिब्बा गायब वाली स्थिति में सरकार ने अल्पसंख्यक समाज के साथ धोखाधड़ी की है। अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति योजना देने में राज्य सरकार की कोई रुचि नहीं है जिस कारण प्री मैट्रिक का पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना सहित मेरीट कम मिंस स्कॉलरशिप और कोचिंग स्कॉलरशिप सिर्फ पटना में ही देखने को मिलता है। राज्य के किसी भी जिला में सर जमीन पर कार्यरत नहीं है । मदरसा शिक्षा तथा उर्दू के स्तर को उठाने का राज्य सरकार की ओर से कोई प्रयास नहीं चल रहा है ।जहां पहले राजद शासनकाल में उर्दू ट्रांसलेटर और उर्दू टाइपिस्ट की बहाली की गई ,वहीं पिछले 16 वर्षों से यह प्रक्रिया मृतप्राय हो चुका है ।अब तो सरकारी कार्यालयों में उर्दू नेम प्लेट नाम मात्र को ही देखने को मिलता है जबकि बिहार में उर्दू को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है । उर्दू भाषा को रोजगार के साथ जोड़ने का कहीं भी प्रयास नहीं किया तथा उर्दू अखबारों को नाममात्र का ही विज्ञापन दिया जाता है जबकि उर्दू के फरोग में उर्दू अखबारों की अहम भूमिका है।
एजाज ने आगे कहा की नीतीश कुमार ने अपने प्रथम कार्यकाल में ही बुनकरों के सामाजिक आर्थिक उत्थान की घोषणा की थी लेकिन उस पर अमल करना तो दूर बुनकरों के मान सम्मान की प्रतीक बुनकर सहयोग समिति बिहारशरीफ के भवन को राज्य सरकार ने आठ लाख में नीलाम करवा दिया ।इस मुख्यालय से पटना एवं मगध प्रमंडल के 11 जिलों का नियंत्रण होता था इतना ही नहीं बुनकरों को आर्थिक सहयोग की जगह उनको दयनीय हालत पर छोड़ दिया ,जिस कारण भागलपुर, बिहार शरीफ, नवादा, गया, मधुबनी, पटना के सिगोडी के बुनकरों की हालत दयनीय बनी हुई है ।अल्पसंख्यको के बुनियादी तालीम के लिए तालिमी मरकज की घोषणा की गई थी लेकिन यह सिर्फ घोषणा ही बनकर रह गया सर जमीन पर यह कहीं नहीं दिखाई दे रहा है। धुरद योजना भी सिर्फ घोषणा के अलावा कुछ और नहीं रहा जबकि नीतीश कुमार ने कहा था की धुनिया, रंगरेज और दर्जी को आर्थिक और सामाजिक तौर पर मजबूती प्रदान करने के लिए उनके लिए विशेष योजनाएं चलाई जाएंगी यह सिर्फ कागज पर दिखा सरजमीन पर कहीं नहीं। केंद्र सरकार के मल्टी सेमटोरल डेवलपमेंट स्कीम एमएसडीपी योजना की राशि खर्च नहीं कर सकी। सरकार जिसके कारण अल्पसंख्यक इलाकों में सड़क अस्पताल, पेयजल, स्कूल योजनाएं सर जमीन पर नहीं उतर सका। एमएसडीपी योजना में राज्य सरकार की कोताही के कारण अल्पसंख्यक बहुल 7 जिलों कटिहार अररिया पूर्णिया किशनगंज दरभंगा सीतामढ़ी एवं पूर्वी चंपारण मे मुसलमान बुनियादी सुविधा से भी वंचित है। नीतीश सरकार को बताना चाहिए कि क्या समाज में नफरत फैलाने वाले को ही राज्य सरकार के स्तर से बढ़ावा मिलेगा या उन पर कोई कार्रवाई भी होगी। बिहार में इधर मॉब लिंचिंग की घटनाओं में वृद्धि हुई है और अल्पसंख्यक समाज को टारगेट पर रखकर आर एस एस और भाजपा राजनीति कर रही है नीतीश कुमार चुप्पी साधे हुए है।
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